वरध तकत - Aldivan Teixeira Torres 2 стр.


- हमेशा मेरे साथ रहने के लिए धन्यवाद। मुझे नहीं पता की गुफा में मेरा क्या इंतज़ार कर रहा है और ना जाने क्या होगा। आपका योगदान मेरे लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। अब जब मैं पहाड़ चढ़ चुका हूँ मुझे लग रहा है कि मेरी ज़िन्दगी बदल गई है। अब मैं ज्यादा आत्मविश्वासी और शांत हूं कि मुझे क्या चाहिये। मै दूसरी चुनौती पूरी कर लूंगा।

- बहुत अच्छे। अब मैं तुम्हे तीन दिन बाद मिलूंगी।

यह कहने के बाद औरत फिर से गायब हो गई। मुझे कीड़ों, मकोड़ों तथा मच्छरों और शाम की शान्ति के साथ अकेला छोड़ गई।

पहाड़ों का भूत

पहाड़ों में रात हुई। मैंने आग जलाई और इसकी चमक ने मेरे दिल को शांति पहुंचाई। मुझे पहाड़ में चढ़े अब दो दिन हो चुके हैं पर अब भी ये मुझे किसी अनजान की तरह लगते हैं। मेरे विचार विचरित हुए और मेरे बचपन में जा के रुके: हँसी मजाक, डर, घटनाएँ। मुझे याद है जिस दिन मैं एक भारतीय वेश भूषा में तैयार हुआ था: धनुष, बाण, और कुल्हाड़ी के साथ। मैं उस पहाड़ पर था जो पवित्र था क्योंकि इस पहाड़ पर रहस्यवादी स्वदेशी आदमी की मृत्यु हुई थी (जनजाति के वैद्य)। मुझे कुछ और सोचना होगा क्योकी डर की वजह से मेरी आत्मा ठंडी पड़ रही है। मेरी झोंपड़ी के आस पास बहुत ही जोरदार आवाजें हो रही है और मुझे पता नहीं ये क्या और कौन है। कोई कैसे ऐसे समय पर अपने डर पर काबू पा सकता है? पाठक मुझे बताएं क्योंकि मुझे नहीं पता। पहाड़ से मैं अब भी अंजान हूं।

आवाज मेरी नजदीक आती जा रही है लेकिन मेरे पास भाग जाने के लिए कोई जगह नहीं है। झोंपड़ी को छोड़ना बेवकूफी होगी क्योंकि मैंने ऐसा किया तो मैं क्रूर जानवरों का शिकार बन जाऊँगा। जो भी है मुझे सहना पड़ेगा। आवाज बंद होती है और एक रोशनी दिखाई पड़ती है। ये मुझे और डराती है। थोड़ी हिम्मत करके मै पूछता हूँ:

- परमेश्वर के नाम पर, कौन है वहाँ पर?

एक आवाज, अस्पष्ट झंकार के साथ कहती है:

- मैं एक साहसिक योद्धा हूँ जिसने निराशा की गुफा को तबाह कर दिया है अपने सपनों को छोड़ दो वरना तुम्हारी भी यही किस्मत होगी। मैं एक छोटा सा, स्वदेशी आदमी हूँ जो क्सुकुरु देश के एक गाँव का रहने वाला हूँ। मैं अपनी जाति का मुख्य प्रधान बनना चाहता था और सिंह से भी ताकतवर होना चाहता था। मैंने पहाड़ों के संरक्षक द्वारा दी गई तीन चुनौतियां जीत ली थी। लेकिन, गुफा में घुसने के बाद, मैं उसकी आग द्वारा निगल लिया गया था जिसने मेरे दिल तथा लक्ष्य को चकनाचूर कर दिया था। आज मेरी आत्मा भटकती है और ना-उम्मीदी से इस पहाड़ में फंस गई है। मेरी बात सुनो वरना तुम्हे भी यही भुगतना पड़ेगा।

मेरी आवाज कुछ देर के लिए रुक गई और मैं उस सताई हुई आत्मा को कुछ प्रतिक्रिया नहीं दे पाया। उसने अपना मकान, खाना, घर जैसा माहौल सब पीछे छोड़ दिया था। मेरी अभी गुफा में दो चुनौतियाँ बाकी थीं, वह गुफा जो असम्भव को भी संभव कर दे। जल्दी से मैं अपने सपनों की नहीं छोडूंगा।

- परम योद्धा, सुनो मेरी बात। ये गुफा छोटे मोटे चमत्कार नहीं करती। अगर मैं यहाँ हूं तो किसी महान कारण की वजह से हूं। मैं भौतिक वस्तुओं की परिकल्पना नहीं करता। मेरे सपने उससे ऊपर हैं। मैं अपने आपको पेशेवर तथा आध्यत्मिक रूप से विकसित करना चाहता हूँ। संक्षेप में कहें तो मैं वह करना चाहता हूँ जिसको करके मुझे ख़ुशी मिलती है, जिम्मेदारी से पैसे कमाना चाहता हूँ और अपनी प्रतिभा के योगदान से एक बेहतर सृष्टि बनाना चाहता हूँ। मैं अपने सपनॉन के लिए इतनी जल्दी हार नहीं मान रहा।

भूत ने कहा:

-क्या तुम गुफा और उसके जाल के बारे में जानते हो ? तुम कुछ भी नहीं लेकिन एक कमजोर जवान आदमी हो जो रास्ते में आने वाले जिस पथ पर आगे बढ़ रहे हो असीम खतरों से अंजान हो। वो संरक्षक एक मायावी है जो तुम्हे बहका रही है। वो तुम्हे बर्बाद कर देना चाहती है।

भूत के बहुत की हठ ने मुझे परेशान कर दिया। क्या वह मुझे जानता था, संयोग से? परमेश्वर अपनी दया से मुझे असफल नहीं होने देंगे। परमेश्वर और कुंवारी मैरी हमेशा मेरी तरफ रहे हैं। इस का सबूत मेरे पूरे जीवन में कुंवारी की आत्मीयता थी।। "vision of a medium" में (एक किताब जो मैं मैंने अभी तक प्रकाशित नहीं की) एक दृश्य है जहाँ पर मैं एक भवन के मेज पर बैठा हुआ हूं, जहाँ हवाएं और पक्षी मुझे उत्तेजित कर रहे है, और मैं दुनिया और ज़िन्दगी की गहन सोच में डूबा हुआ हूँ। अचानक से, एक औरत की छाया दिखाई पड़ी जिसने मुझसे पूछा:

-क्या तुम परमेश्वर में भरोसा करते हो, मेरे पुत्र?

मैंने तुरंत जवाब दिया:

- निश्चित ही और अपनी सभी चीजों के साथ।

तुरंत ही उसने अपने हाथ को मेरे सर पर रखा और प्रार्थना की:

- प्रभुता के परमेश्वर तुम्हे जीवन में रौशनी और उपहार प्रदान करें।

यह कहकर वह चली गई, और जब मुझे इसका अहसास हुआ, वो तब तक जा चुकी थी। वह गायब हो गई थी।

वह कुंवारी मैरी का मेरी जिंदगी में पहला दर्शन था। फिर से वह मेरे पास भिखारी के भेष में छुट्टा मांगने आई। उसने कहा कि वह किसान है और अब भी काम करती है। तत्परता से, जो भी सिक्के मेरी जेब में थे मैंने उसे दे दिए। पैसे मिलने के बाद उसने मुझे धन्यवाद कहा और जब तक मुझे यह पता चलता वह गायब हो गई थी। उस समय, पहाड़ों में, मुझे तनिक भी शंका नहीं थी कि परमेश्वर मुझसे प्यार करते हैं और मेरी तरफ हैं। इसीलिए मैंने भूत से रुखेपन से बात की।

- मैं तुम्हारी सलाह को नहीं सुनुँगा। चले जाओ, मुझे अपनी सीमायें तथा भरोसे का पता है। दूर जाओ, एक घर या कोई और जगह पर जाओ। मुझे अकेला छोड़ दो।

रौशनी चली गई और मैंने जाते हुए कदमों की आवाज सुनी जो झोंपड़ी से दूर जा रहे थे। मै भूत से मुक्त था।

डी-डे

दूसरी चुनौती के बाद से तीन दिन बीत चुके थे। वह शुक्रवार का दिन था, साफ़, प्रकाशित और रोशनीपूर्ण। मैं क्षितिज पर विचार कर रहा था जब वह अजीब औरत मेरे समीप पहुँची।

-क्या तुम तैयार हो? कोई भी अनहोनी घटना के लिए तैयार रहो तथा अपने सिद्धान्तों के अनुसार काम करो। यह तुम्हारी दूसरी परीक्षा है।

- ठीक है, मै तीन दिनों से इस घडी का इंतज़ार कर रहा था, मुझे लगता है मैं तैयार हूँ।

जल्दी से मै उस रास्ते के पास पहुंच गया जो मुझे जंगल ले जाता है। मेरे पैर बिलकुल संगीतमय ताल से चले। असल में यह दूसरी चुनौती क्या थी? चिंता ने मुझे अपने बस में कर लिया और मेरे पैर उस अंजान वस्तु की तलाश में गतिमान हो गए। बिलकुल सामने एक रास्ता उभरा जो विभाजित और अलग होता था। जब मैं वहां पंहुचा, तो मेरे लिये यह आश्चर्यजनक था कि वह विभाजन चला गया था और मैं उसकी जगह सामने के दृश्य को देख रहा था: एक लड़का, एक जवान के द्वारा घसीटा जा रहा है और जोर जोर से रो रहा है। अन्याय के भाव की भावनाएं मुझ पर हावी हो गई और इसलिए मैंने कहा:

-बच्चे को जाने दो, वह तुमसे छोटा है और खुद को बचा भी नहीं सकता।

-मैं नहीं जाने दूंगा। मैं ऐसा इसलिए कर रहा हूँ इसके साथ क्योंकि यह काम नहीं करना चाहता।

-जानवर कहीं के। बच्चों को काम नहीं करना पड़ता। उन्हें पढाई करनी चाहिए और शिक्षित बनना चाहिये। उसे छोड़ दो!

-इसको कौन छुड़ाएगा, तुम?

मै हिंसा के सख्त खिलाफ हूँ लेकिन इस समय मेरे दिल ने कहा कि मुझे इस शैतान से लड़ना चाहिये। बच्चा छूटना ही चाहिये।

आराम से मैंने बच्चे को उस शैतान से अलग किया और उस आदमी को मारने लगा। उसने भी हरकत की और मुझे कुछ घूंसे मारे। उसमे से एक मुझे बहुत पास से लगा। दुनिया शिथिल हो गई और एक ताकतवर मर्मज्ञ हवा ने मुझे पूरी तरह झकझोर कर रख दिया: सफ़ेद और नीले आसमान ने स्वफिट पक्षियों के साथ मेरे दिमाग में घुसपैठ कर दी। एक पल में ऐसा लग रहा था कि मेरे पूरा शरीर हवा में तैर रहा है। बड़ी दूर से एक आवाज़ ने पुकारा। दूसरे पल में ऐसा था कि मैं दरवाजों से गुजर रहा हूँ, जैसे एक के बाद एक बाधाओं में से। दरवाजे अच्छे से बंद थे और उन्हें खोलने के लिये एक बहुत जोर की ताकत की जरूरत पड़ी। हर दरवाजा क्रमशः या तो किसी बरामदे में या फिर किसी पुण्यस्थान पर पहुँचने में मदद करता था। पहले बरामदे में मैंने पाया कि कुछ जवान लोग सफ़ेद कपडे पहने हुए, टेबल के चारों तरफ इकट्ठे हुए हैं जिसमे बीच में खुली हुई बाइबिल रखी है। ये वही थे जो कुंवारी द्वारा भविष्य की दुनिया में राज करने के लिए चुने गए थे। एक ताकत ने मुझे उस कमरे से बाहर धक्का दिया और मैंने दूसरा दरवाजा खोला और मैं पहले पुण्यस्थान पर पहुँच गया। वेदी के किनारे, अगरबत्तियां ब्राज़ील के कमजोर लोगों के निवेदन के साथ जल रहीं थी। दाईं तरफ, एक पंडित जोर से प्रार्थना कर रहा था और अचानक से दोहराना शुरू कर दिया: द्रष्टा! द्रष्टा! द्रष्टा! उसके बगल में दो औरतें सफदे कपड़ों में थी। जिस पर लिखा था: संभव सपना। हर चीज काली होने लगी, जब मैं होश में आया तो मुझे बहुत जोर से खींचा जा रहा था इतनी तीव्रता से कि मुझे थोड़ा चक्कर आ गया। अब मैंने तीसरा दरवाजा खोला और पाया कि कुछ लोग मिलकर बैठक कर रहे है: एक पादरी, एक पंडित, एक बौद्ध, एक मुस्लिम, एक अध्यात्मवादी, एक यहूदी और एक अफ्रीकन धर्मो का प्रतिनिधि। वो लोग एक गोल घेरा बनाकर खड़े हुए थे और बीच में आग जल रही थी और लपटें नाम को उल्लेखित कर रही थी, "लोगो का संघ और परमेश्वर तक रास्ता" आखिर में उन्होंने मेरे साथ आलिंगन किया और मुझे समूह में सम्मिलित किया। आग मध्य से हट गई और मेरे हाथों पर आ गई और शब्द लिखे "शिक्षुता"। आग पूर्ण रूप से रौशनी थी और जल नहीं रही थी। समूह टूट गया, आग चली गई और दोबारा मुझे कमरे से धक्का दे दिया गया जहाँ मैंने चौथा दरवाज़ा खोला। दूसरा पुण्यस्थान पूरी तरह खाली था और मैं वेदी की तरफ बढ़ा। मैं समृद्ध धार्मिक अनुष्ठान के लिये श्रद्धा में घुटनों के बल बैठ गया, एक कागज़ जो जमीन पर पड़ा था उसे उठाया और अपनी मुराद लिख दी। मैंने कागज़ मोड़ा और तस्वीर के चरणों पर रख दिया। वह आवाज जो बहुत दूर थी अचानक से साफ़ और सटीक हो गई। मैंने पुण्यस्थान छोड़ दिया, दरवाजा खोला और आखिकार उठ गया। मेरे बगल में पहाड़ों की संरक्षक थी।

- तो तुम उठ गए। मुबारक हो! तुमने चुनौती जीत ली है। दूसरी चुनौती का उद्देश्य खुद की क्षमता तथा कार्य की खोज करना था। दो रास्ते जो "विरोधी ताकतों" का प्रतिनिधित्व कर रहे थे वो अब एक हो गए हैं। इसका मतलब है कि तुम्हे दाएं तरफ के रास्ते पर चलना होगा उस ज्ञान को बिना भूले जो तुम्हे बाईं तरफ चलने पर मिलेगा। तुम्हारे रवैये ने उस बच्चे की जान बचायी इसके बावजूद की उसे इसकी कोई जरुरत नहीं थी। वह पूरा दृश्य मेरे द्वारा तुम्हारे दिमाग का मूल्यांकन करने के लिये रचित खेल था। तुमने सही कदम उठाया। बहुत से लोग जब अन्याय होते देखते हैं तो उसमें दखलंदाज़ी नहीं करते। ऐसी चूक एक जघन्य अपराध है और वह आदमी अपराध का साथी बन जाता है। तुमने अपने आप को झोंक दिया जैसे की जीसस क्राइस्ट ने किया था। यह वह सीख है जो तुम्हारे साथ जिंदगी भर रहेगी।

-मुझे मुबारकबाद देने के लिए धन्यवाद। मैं हमेशा उन लोगो के साथ खड़ा होऊंगा जो अपवर्जित है। मैंने जो अध्यात्मीक अनुभव किया वह मेरे लिए पहेली है। उसका क्या मतलब है? क्या आप मुझे समझा सकती हैं?

-हम सब के पास वह क्षमता है कि हम विचारों के द्वारा दूसरी दुनिया को समझ सकते हैं यह है, जिसे सूक्ष्म यात्रा कहा जाता है। यहाँ इस मुद्दे से सम्बंधित कुछ विशेषज्ञ है। जो तुमने देखा वो तुम्हारे या किसी दूसरे के भविष्य से सम्बंधित है, आपको नहीं पता।

-मैं समझता हूँ। मैं पहाड़ चढ़ गया, पहले दो चुनैतियां भी पूरी कर ली और मै अध्यात्मीक रूप से विकसित हो रहा होऊंगा। मुझे लगता है जल्द ही मैं निराशा की गुफा का सामना करने के लिए तैयार हो जाऊँगा। वह गुफा जहाँ चमतकार होते हैं तथा सपने और प्रगाढ़ हो जाते हैं।

-तुम्हे तीसरी चुनौती करनी होगी और वह क्या है मैं कल बताऊंगी। निर्देशों का इंतज़ार करो।

-जी। मैं बड़ी ही व्याकुलता से उसका इंतज़ार करूँगा। जैसा की आप मुझे कहती हैं, परमेश्वर का पुत्र, वह अब बहुत भूखा है और अपने लिए सूप बनायेगा, आप आमंत्रित है।

-बहुत अच्छे। मुझे सूप बहुत पसंद है। इसे मैं तुम्हे अच्छे से जानने के मौके के रूप में उपयोग करुँगी।

वह अजीब औरत चली गई और मुझे अपने ख्यालों के साथ अकेला छोड़ गई। मैं जंगल में सूप के लिए सामग्रियां ढूंढने चला गया।

जवान लड़की

जब तक सूप तैयार हुआ तब तक पहाड़ों में अँधेरा हो चुका था। रात की ठंडी हवाएं और कीड़ों की भिनभिनाहट माहौल को और गवारू बना रही थी। अजीब औरत अभी तक झोंपडी में नहीं आई थी। मुझे उसके पहुँचने से पहले सब चीजों को सही जगह पर रखना जरूरी था। मैंने सूप को चखा। वह सचमुच में बहुत अच्छा था बावजूद इसके कि उसमें सारे मसाले नहीं थे। मैं झोंपडी से थोड़े देर के लिए बाहर निकला और स्वर्ग की परिकल्पना करने लगा: मेरे प्रयास के सितारे भी गवाह थे। मैं पहाड़ चढ़ा, उसके संरक्षक को ढूंढा और दो चुनौतियां भी पूरी कर ली (एक दूसरे से ज्यादा कठिन थी), एक भूत से मिला और मैं अब भी यहाँ खड़ा हूँ। "गरीब सपनों के लिये ज्यादा तड़पते हैं"। मैं तारों की व्यवस्थाओं तथा उनके प्रकाश को देखने लगा। इस महान ब्रम्हांड में जहाँ हम रहते है वहाँ हर एक का अपना महत्व है। वैसे ही इंसान भी महत्वपूर्ण है। वे अमीर, गरीब, गोरे, काले, एक धर्म के, दूसरे धर्म के या किसी और के उपासक हो सकते हैं। सब एक ही पिता के बच्चे हैं। मैं भी इस ब्रम्हांड में अपनी जगह लेना चाहता हूँ। मैं सोचता हूँ बिना किसी सीमा के। मुझे लगता है कि यह सपना अमूल्य है लेकिन मैं निराशा की गुफा में जाने के लिए उसका मूल्य चुकाने के लिए तैयार हूँ। मैं स्वर्ग के बारे में फिर से एक बार ध्यान करता हूँ और झोंपड़ी में वापस चला जाता हूँ। मैं वहाँ संरक्षक को पाकर अचंभित नहीं होता हूँ।

-क्या आप बहुत देर से यहाँ हो? मुझे पता ही नहीं चला।

- तुम स्वर्ग की तरफ ध्यान करने में इतने मग्न थे कि मैं उस क्षण में तुम्हे भंगित नहीं करना चाहती थी। उस से भी अधिक, मुझे घर जैसा लग रहा था।

- अच्छी बात। अब इस मेज पर बैठ जाओ जो मैंने बनाया है वह सूप तुम्हे परोसता हूँ।

गर्म सूप के साथ मैंने उस अजीब औरत को लौकी भी परोसी जो मुझे जंगल में मिली थी। रात में बहती हवा ने मेरे चेहरे को सहलाया और मेरे कानों में कुछ कहा। वह अजीब औरत कौन थी जिसे मैं परोस रहा था? मैं आश्चर्य में हूँ की क्या वह सच में मुझे बर्बाद करना चाहती है जैसा कि उस भूत ने सूचित किया था। मुझे उसके बारे में कई शक थे और उन सब को दूर करने का यह सही समय था।

- क्या सूप अच्छा है? मैंने बहुत सावधानी से बनाया है।

- यह बहुत ही अच्छा है। तुमने इसे बनाने के लिए क्या उपयोग किया है?

- यह पत्थरों से बना है। मजाक कर रहा हूँ! मैं चिड़ीमार से से एक चिड़िया लाया और प्राकृतिक मसालों का उपयोग किया जो मुझे जंगल में मिले। लेकिन, विषय बदलते हैं, तुम सच में कौन हो ?

- यह अच्छी मेहमाननवाज़ी दिखाना है कि मेजबान अपने बारे में पहले बात करें। तुम्हें पहाड़ की चोटी पर आए अब चार दिन हो गए है और अब तक मुझे तुम्हारा नाम तक नहीं पता।

- बहुत अच्छे। लेकिन यह एक लंबी कहानी है। मेरा नाम अलडीवन टेक्सइरा टोर्रेस है और मैं महाविद्यालय स्तर का गणित पढ़ाता हूं। मेरे दो जूनून साहित्य और गणित हैं। मैं हमेशा से किताब प्रेमी रहा हूँ और बचपन से मैं अपनी किताब लिखना चाहता हूँ। जब मैं उच्च स्कूल में था तो मैंने एक्सीलेसिएस्ट्स(सभोपदेशक) की किताब के कुछ अंश इकठ्ठे किये थे, बुद्धिमता और कहावतें। मैं बहुत खुश था इसके बावजूद कि वह लेख मेरे नहीं थे। मैंने बड़े गर्व से उसे सबको दिखाया। मैंने उच्च शिक्षा पूरी की और कम्प्यूटर का कोर्स किया और पढाई कुछ समय के लिये बंद कर दी। उसके बाद मैंने कालेज से तकनीकी कोर्स करने के कोशिश की। लेकिन मुझे लगा कि वह मेरा क्षेत्र नहीं है। हालांकि मैं उस क्षेत्र में इंटर्नशिप के लिए तैयार था। हालाँकि परीक्षा के दिन पहले कोई अनजान ताकत मुझसे हार मान लेने की जिद्द करती रही। जैसे समय बिताता गया, मैं उतना ज्यादा ही दबाव इस ताकत के द्वारा महसूस करने लगा जब तक मैंने यह निर्णय कर लिया की मैं परीक्षा नहीं दूंगा। दबाव हट गया और मेरा ह्रदय भी शांत हो गया। मुझे लगता है यह किस्मत थी जिसने मुझे जाने नहीं दिया। हम सब को अपनी सीमाओं का आदर करना चाहिए, मैंने बहुत से निवेदन किये, मंजूरी मिली और अब मैं शिक्षा विभाग में प्रशासनिक सहायक के पद पर आसीन हूँ। तीन साल पहले मुझे किस्मत का एक और संकेत मिला। मुझे कुछ समस्या थी और मुझे तंत्रिका अवसाद हो गया। तब से मैं लिखने लगा और कुछ ही समय में उसने उभरने में मेरी मदद की। उसका परिणाम किताब "विज़न ऑफ़ मीडियम" थी जो अभी तक मैंने प्रकाशित नहीं की है। यह सब से मुझे लगा की मैं लिख सकता हूँ और एक पेशेवर हो सकता हूँ। मैं यह सोचता हूँ: मैं वह काम करना चाहता हूँ जो मुझे पसंद है और जिससे मैं खुश रह सकता हूँ। क्या एक गरीब व्यक्ति से पूछने के लिए बहुत ज्यादा है?

- बिलकुल भी नहीं, अलडीवन। तुममे प्रतिभा है जो कि इस दुनिया में बहुत दुर्लभ है। सही समय में तुम सफलता प्राप्त करोगे। जीतने वाले वही होते हैं जो अपने सपनों पर भरोसा करते हैं।

- मैं भरोसा करता हूँ इसलिए मैं यहाँ हूँ जहाँ पर सभ्यता बसाने वाली जरूरी चीजें अभी तक नहीं पहुँच पाईं हैं। मैंने पहाड़ चढ़ने का रास्ता ढूंढ लिया, सभी चुनौतियों पर विजय पाने के लिये। अब मेरे लिए सिर्फ यह ही रह गया है की गुफा में जाऊं और अपने सपनों को पूरा करूँ।

- मैं तुम्हारी मदद करने के लिए यहाँ हूं। जब से यह पहाड़ पवित्र हुआ है तब से मैं इस पहाड़ की संरक्षक हूँ। मेरा मकसद उन सब सपने देखने वालों की मदद करना है जो निराशा की गुफा ढूंढ रहे है। कुछ लोग भौतिकवादी सपने को सच करना चाहते है जैसे कि पैसा, ताकत, सामाजिक प्रतिष्ठा या दूसरे खुदगर्ज सपने। सब असफल हो गए और ऐसा करने वाले सिर्फ कुछ नहीं थे। गुफा सपनों को पूरा करने में निष्पक्ष है।

बातचीत कुछ समय के लिये लगातार चलती रही। मेरा ध्यान धीरे धीरे घट रहा था क्योंकि कोई अजीब सी आवाज मुझे झोंपड़ी के बाहर बुला रही थी। जब भी वो आवाज मुझे पुकारती थी मैं उत्सुकता से बाहर जाना चाहता था। मुझे जाना ही था। मैं जानना चाहता था कि मेरे विचारों में उस अजीब आवाज़ का क्या मतलब है। धीरे से, मैंने अजीब औरत को अलविदा किया और आवाज जिस दिशा से आ रही थी उसी दिशा में चला गया। मेरा क्या इंतज़ार कर रहा है? चलिए पाठकों, संग आगे बढ़ते हैं।

रात ठंडी थी और वह आग्रहपूर्ण आवाज मेरे दिमाग में बसी रही। हम दोनों के बीच कुछ अजीब सा रिश्ता था। मैं कुछ फ़ीट अपनी झोंपड़ी से चल चुका था लेकिन मेरे शरीर की थकान के वजह से वह दूरी मुझे कई मील लग रही थी। जो निर्देश मुझे आंतरिक रूप से मिले वह मुझे अँधेरे में ले जा रहे थे। थकान, अंजान का डर और और उत्सुकता के मिश्रण ने मुझे बाँध रखा था। वह अजीब आवाज किसकी थी ? वह मुझसे क्या चाहती थी ? पहाड़ और उसके राज…....जब से मुझे पहाड़ को जानने का मौका मिला, मैंने इसका आदर करना सीखा। संरक्षक और उसके राज, चुनौतियां जिनका मुझे सामना करना है, भूत से सामना; सब ख़ास हो गए थे। वह उत्तरपूर्व में सबसे ऊंचा भी नहीं था और बहुत प्रभावी भी नहीं था लेकिन वह पवित्र था। वैद्य के मिथ्य और मेरे सपने मुझे यहाँ ले आए थे। मैं सभी चुनौतियां जीतना चाहता था, गुफा में प्रवेश करना चाहता था और मैं अपना निवेदन कहना चाहता था। मैं एक बदला हुआ इंसान हो जाऊंगा। मैं सिर्फ मैं नहीं रहूंगा लेकिन मैं वह इंसान हो जाऊँगा जिसने गुफा और उसके आग पर जीत पा ली है। मुझे संरक्षक की कही बात याद है कि ज्यादा भरोसा मत करना। मुझे जीसस की बात याद है जिन्होंने कहा था:

- वह जो मुझ पर भरोसा करेगा वह अनंतकाल तक जीएगा।

खतरा मुझे अपने सपनों को छोड़ने वाला बना देगा। इस विचार के साथ मैं ज्यादा विश्वास से भर गया हूँ। आवाज ताकतवर और ताकतवर होती जा रही है। मुझे लगता है मैं अपने गंतव्य में पहुँचने वाला हूँ। मुझे सामने, एक झोंपड़ा दिखाई दिया। आवाज मुझे वहां जाने को कहती है।

झोंपड़ा और जलती आग एक सतही जगह पर है। एक जवान, लंबी औए पतली सी लड़की, काले बालों वाली, किसी तरह की खाने को भून रही है।

- तो तुम पहुंच गए। मुझे पता था मेरे बुलाने पर तुम आओगे।

- तुम कौन हो? तुम्हें मुझसे क्या चाहिये ?

- मैं भी एक सपने देखने वाली हूँ जो गुफा में प्रवेश करना चाहती है।

- तुम्हारे पास ऐसी क्या ख़ास शक्तियां है जो मुझे अपने दिमाग से बुला लिया?

- यह टेलीपैथी है, बेवकूफ। क्या तुम इसके बारे में नहीं जानते?

- मैनें इसके बारे में सुना है, क्या तुम मुझे सिखा सकती हो?

- तुम एक दिन सीख जाओगे पर मुझसे नहीं। मुझे बताओ कैसे सपनों ने तुम्हे यहाँ बुलाया है?

- सबसे पहले, मेरा नाम अलडीवन है। मैं पहाड़ों पर इस उम्मीद से चढ़ा की मुझे अपनी “विरोधी ताक़तें” मिलेंगी। वो मेरा भविष्य परिभाषित करेंगी। जब कोई अपनी “विरोधी ताकतों” को नियंत्रण में कर लेता है तो वह चमत्कार करने के काबिल हो जाता है। यही है वह जिसे मैं हासिल करना चाहता हूँ मेरा सपना है कि अपने पसंदीदा क्षेत्र में काम करना चाहता हूँ जिसमे मैं खुश रह सकूँ और कई लोगों को सपने दिखा सकूँ। मैं गुफा में जाना चाहता हूँ लेकिन सिर्फ अपने लिये नहीं बल्कि इस पूरे ब्रम्हांड के लिए जिसने मुझे ये तोहफे दिये हैं। दुनिया में मेरी जगह होगी और ऐसे मैं खुश रहूँगा।

- मेरा नाम नादजा है। मैं परनामबुको तट की रहने वाली हूँ। अपने यहाँ मैंने इस जादुई पहाड़ और गुफा के बारे में बहुत बातें सुनी है। तुरंत ही मुझे इस यात्रा को करने में दिलचस्पी हुई थी इस विचार के बाद भी कि यह सिर्फ एक कल्पित कहानी है। मैनें अपना सामान इकठ्ठा किया और, चल पड़ी, और मिमोसो पहुँची और पहाड़ों में आ गई। मैंने जैकपॉट मारा अब जब मैं यहाँ हूँ, मैं गुफा में जाऊंगी और मैं अपनी इच्छा पूरी कर लूंगी। मैं एक महान देवी होऊँगी, ताकतों और वरदानों से भरपूर। सब मेरी सेवा करेंगे। तुम्हारे सपने तो बहुत बकवास हैं। लेकिन क्यों कम मांगे जब हम सब सारा संसार मांग सकते है ?

- तुम गलत हो। गुफा कोई छोटे मोटे चमतकार नहीं करती। तुम असफल हो जाओगी। संरक्षक तुम्हे प्रवेश नहीं करने देंगे। गुफा में प्रवेश करने के लिये तुम्हे तीन चुनौतियां जीतनी पड़ेंगी। मैंने पहले दो पड़ाव पर कर लिये हैं। तुमने कितने जीते हैं?

- कितना बचकाना है, चुनैतियां और संरक्षक। गुफा उन्ही की इज़्ज़त करती है जो सबसे ताकतवर और सबसे ज्यादा विश्वासी होते हैं। मैं कल अपनी आकांक्षाओ को पूरा कर लूंगी और मुझे कोई नहीं रोक सकता, सुना तुमने?

- तुम ज्यादा अच्छा जानती हो। जब तुम्हें पछतावा होगा तब तक बहुत देर हो चुकी होगी। मुझे लगता है मुझे चलना चाहिये मुझे आराम की जरूरत है क्योंकि बहुत देर हो चुकी है। मैं तुम्हे शुभकामनायें नहीं दे सकता क्योंकि तुम तो परमेश्वर से भी महान होना चाहती हो। जब मनुष्य इस जगह पर पहुँच जाता है तो वह खुद को बर्बाद कर लेता है।

- बेकार है सब, सिर्फ कहने की बातें है। कोई भी चीज मुझे अपने निर्णय लेने से नहीं रोक सकती।

यह देखते हुए की वह अटल है मैंने प्रयास करना छोड़ दिया, उसके लिए बुरा लग रहा था। कैसे लोग इतने तुच्छ हो सकते हैं? इंसान सिर्फ उसी समय सही होते हैं जब वे सच और समतावादी आदर्शों के लिए लड़ते हैं। रास्ते पर चलते हुए मुझे याद आया कि कितनी बार मैं गलत था या तो कमजोर आंकलन की वजह से या फिर दूसरे की उपेक्षा से आए हुए से। यह मुझे उदास करता था। ऊपर से, मेरा परिवार मेरे सपनों के खिलाफ था और मुझ पर भरोसा नहीं करते थे। यह बहुत ही दुखदायी था। एक दिन वह देखेंगे कि सपने पूरे हो सकते हैं। उस दिन, यह सब पूरा करने के बाद मैं अपने जीत की ख़ुशी मनाऊँगा औए बनाने वाले का गुणगान करूंगा। उसने मुझे सब दिया और बस यही चाहा की मैं अपने तोहफों को दूसरों के संग बाटूँ, क्योंकि बाइबिल कहती है, चिमनी जलाने के बाद उसे मेज के नीचे मत रखो इसके बजाए उसे ऊपर रखो क्यूंकि सभी के लिए इसे सराहना और प्रबुद्ध होना चाहिए। रास्ता खत्म होता है और मैं देखता हूँ उस झोंपडी को मैंने जिसे इतनी मेहनत से बनाया है। मुझे सोने जाना है क्योंकि कल दूसरा दिन है और मेरे पास अपने और दुनिया के लिये योजनाएं है। शुभरात्रि, पाठको। अगले अध्याय तक…..........

भूकंप

नए दिन की शुरुआत हुई। रोशनी हुई, सुबह की ठंडी हवाओं ने मेरे बालों को सहलाया, चिड़ियां और कीड़े खुशियां मना रहे है, ऐसा लग रहा है वनस्पति फिर से जीवित हो गए हैं। ऐसा हर दिन होता है। मैंने आँखे साफ़ की, मुंह धोया, दाँतों को साफ़ किया और नहाया। ब्रेकफास्ट के पहले यह मेरा नियमित कार्यक्रम था। जंगल आपको फायदा या विकल्प नहीं देते। मैं इसका आदी नही हूँ। मेरी माँ ने मुझे बचपन से ही कॉफ़ी देकर बिगाड़ दिया है। मैं अपना नाश्ता शांति के साथ करता हूँ लेकिन मेरे दिमाग में कुछ चल रहा है। तीसरी और आखिरी चुनौती क्या होगी? गुफा में मेरे साथ क्या होगा? बिना उत्तर वाले इतने सवाल थे जो मुझे पागल किये जा रहे थे। सुबह आगे बढ़ी और साथ ही मेरी धड़कन, सांसे और डर भी। मैं अब कौन था? निश्चित ही वह नहीं था जो पहले था, मैं एक पवित्र पहाड़ में अपनी किस्मत को ढूंढते हुए चढ़ गया जिसके बारे में मैं भी नहीं जानता था। मैंने संरक्षक को ढूंढा और उन मूल्यों के बारे में सीखा जो मेरी कल्पना से भी बड़ी दुनिया के बारे में थे जिसके बारे मे मैंने सोचा तक नहीं था कि यह अस्तित्व में भी होगा। मैनें दो चुनैतियां जीत लीं अब केवल तीसरी चुनौती का सामना करना है। एक तीसरी चुनौती जो दूरवर्ती तथा अज्ञात थी। झोंपडी के पास पत्ते थोड़ा और आ गए। मैं प्रकृति और उसके इशारों को समझना सीख गया था। कोई पुकार रहा है।

- हेल्लो! क्या आप वहाँ है?

मैं गया और नज़रों को दूसरी ओर फेर लिया और संरक्षक के रहस्यमयी हाव-भाव की परिकल्पना करने लगा। वो खुश दिखाई दे रही थी और ऐसी उम्र में भी खिली हुई दिख रही थी।

-जैसा की तुम देख सकती हो, मैं यहाँ हूँ। तुम मेरे लिए क्या समाचार लाई हो?

- जैसा की तुम जानते हो, आज मैं तुम्हें तुम्हारी आखिरी और तीसरी चुनौती सुनाने आई हूँ। यह तुम्हारे पहाड़ में रहने के सातवें दिन होगा क्योंकि यह किसी नश्वर के रहने का अधिकतम समय है। यह बहुत ही आसान है और इन चीजों से मिल के बना है: इस झोंपड़ी को छोड़ने के बाद उसी दिन इंसान या राक्षस जिससे पहले तुम्हरे सामना हो उसे मार दो। नहीं तो तुम गुफा में प्रवेश करने के लिए लायक नहीं रहोगे जो तूम्हारी इच्छाओ को पूरा करती है। क्या कहते हो तुम? क्या यह आसान नहीं है?

- कैसे भला? मारना? क्या मैं कोई कातिल दिखता हूँ?

- यह गुफा में तुम्हारे प्रवेश करने का केवल यही तरीका है। खुद को तैयार कर लो क्योकि अब सिर्फ दो ही दिन बचे हैं।

एक 3.7 तीव्रता के भूकंप ने पहाड़ के चोटी को पूरा हिला के रख दिया। भूकंप की वजह से मुझे चक्कर आने लगे और मुझे लगा की मैं बेहोश हो के गिरने वाला हूं। ज्यादा से ज्यादा विचार मन में आ रहे है। मैं अपनी ताकत कम होते हुए महसूस कर रहा हूँ और ऐसा लग रहा की मेरे हाथ और पांव किसी ने बाँध कर रख दिए हैं। एक झलक में मुझे ऐसा दिखा कि मैं कोई मजदूर हूँ जो खेतों में काम कर रहा हूँ और सेठों द्वारा सताया गया हूं। मैं बेडियां, खून देख रहा हूँ और अपने साथियों की रोने की आवाज सुन रहा हूँ। मैं अमीरी, गर्व और कर्नलों के विश्वासघात को देख रहा हूँ। मैं स्वतंत्रता के लिए उठ रहे सुरों तथा दबाए गए लोगों को न्याय मांगते भी देख रहा हूँ। यह दुनिया कितनी जालिम है! जहाँ कुछ तो जीतते हैं तो कुछ को सड़ने के लिए भुला दिया जाता है। बेड़ियां टूटती हैं। मैं छूट गया हूं, लेकिन अभी भी मुझे घृणा और गलत कामों के लिये भेदभाव के साथ देखा जाता है। मैं अब भी उस श्वेत आदमी के भूत को देखता हूं जो मुझे "काला आदमी" कहकर पुकारता है। मैं अब भी छोटा महसूस करता हूँ। मैं फिर से कोलाहल की आवाज सुन सकता हूँ लेकिन अब आवाज बहुत ही साफ़, सटीक और पहचानी सी है। झटके धीरे धीरे खत्म हो गए और मैं होश में लौटा। किसी ने मुझे उठाया। अब भी थोड़ा स्तम्भित हूँ मैंने कहा:

-क्या हुआ?

संरक्षक रोते हुए, उत्तर ढूंढ नहीं पाईं।

-मेरे पुत्र, गुफा ने फिर से किसी आत्मा की हत्या कर दी। कृपया तीसरी चुनौती को जीत जाओ और इस श्राप को खत्म कर दो। पूरी सृष्टि तुम्हे जीताने में लगी है।

- मुझे नहीं पता कि कैसे जीतना है। केवल परमेश्वर ही अपनी रौशनी से मेरे विचार और कामों को प्रकाशित कर सकते हैं। मैं यह वचन देता हूँ की मैं आसानी से अपने सपनों पर हार नहीं मानूंगा।

-मुझे तुम पर तथा तुम्हारे प्राप्त किए ज्ञान पर भरोसा है। शुभकामनायें, परमेश्वर के पुत्र! जल्द ही मिलेंगे।

यह कहने के बाद अजीब औरत चली गई और धुएं के गुबार में गुम हो गई। अब मैं अकेला था तथा मुझे आखिरी चुनौती के लिये तैयारी करने की जरूरत थी।

आखिरी चुनौती के एक दिन पहले

अब पहाड़ के ऊपर आए मुझे छः दिन हो गए थे। चुनौती से भरे समय और अनुभव ने मुझे समझदार बनने में मदद की है। मैं अब आसानी से प्रकृति को, खुद को और दूसरों को समझ सकता हूँ। प्रकृति अपनी ही धुन में चलती है और इंसानों के आहट के खिलाफ है। हम वनों को काटते हैं, पानी को दूषित करते हैं और वायुमंडल में जहरीली गैस छोड़ते हैं। हमें उससे क्या मिलता है? हमारे लिए क्या ज्यादा महत्वपूर्ण है पैसा या खुद का ज़िंदा रखना? इसके परिणाम है: वैश्विक उष्णता, वनस्पतियों और जीवो में कमी, प्राकृतिक आपदा। क्या इंसान यह नहीं देखता की यह सब उसकी गलतियां हैं? अब भी समय है, प्रकृति को प्रदूषित ना करें। अपना भाग अदा करें: पानी और ऊर्जा बचाएं, खराब चीजों को पुनः उपयोग लायक बनायें, प्रकृति को दूषित ना करें। प्रकृति के मसलों को लेकर अपनी सरकार से जवाब मांगे। हम खुद के लिए तथा दुनिया के लिये बस इतना ही कर सकते हैं। रोमांचित मैं वापस आते हुए, मैं एक बार पहाड़ पर चढ़ गया, मुझे अपनी मुराद और सीमा अच्छे से समझनी चाहिये। मुझे समझ में आ गया कि सपने तभी पूरे होते है जब वो सही और नेक हों। गुफा निष्पक्ष है और अगर मैं तीसरी चुनौती भी जीत गया तो मेरे सपने सच हो जाएंगे। जब मैंने पहली और दूसरी चुनौती जीती तो मुझे दूसरों की मुरादें अच्छे से समझ आने लगीं थीं। अधिकतर लोग यह सपना देखते हैं कि वह अमीर हो जाएँ, सामजिक प्रतिष्ठा बढ़े, ऊँचे पद पर नियंत्रण रखें। वे यह नहीं देखते कि जिंदगी में अच्छी चीज क्या है: पेशेवर तरक्की, प्यार और ख़ुशी। वो चीजें जो इंसान को सचमुच में ख़ास बनाती है वो हैं उनके गुण जो उनके काम से झलकते हैं। ताकत, पैसा और समाज में शेखी किसी को खुशी नहीं देती है। मैं पवित्र पहाड़ में यहाँ ढूंढ रहा हूँ: ख़ुशी और "विरोधी ताकतों" पर अधिकार। मुझे कुछ समय के लिये बाहर जाना जरूरी है। एक एक कदम के साथ मैं झोंपडी के बाहर निकला जिसे मैंने बनाया था। मैं किस्मत के इशारे की उम्मीद करने लगा।

सूरज का तामपान और बढ़ रहा है, हवाएं और तेज हो गई हैं और कोई भी इशारा नहीं दिख रहा। मैं तीसरी चुनौती कैसे जीतूंगा? अगर मैं अपने सपनों को पूरा नहीं कर पाया तो इस असफलता के साथ कैसे जी पाऊंगा? मैं अपने दिमाग से गलत विचारों को हटाने की कोशिश करता हूँ लेकिन डर बहुत ज्यादा है। मैं पहाड़ पर चढ़ने से पहले कौन था? एक नौजवान, असुरक्षित, दुनिया और इसके लोगों का सामना करने से घबराने वाला। एक नौजवान आदमी जो अपने अधिकारों के लिए एक दिन न्यायलय में लड़ता है लेकिन जीत नहीं पाता। भविष्य ने मुझे दिखाया कि यह बेहतर था। कई बार हम हार कर के जीतते है। जिंदगी ने मुझे यह सिखाया है। कुछ पक्षी मेरे आस पास चहचहाने लगे। वो मेरे सवाल समझ गए थे। कल एक नया दिन होगा, पहाड़ की चोटी में सातवां दिन। मेरा भविष्य इस तीसरे चुनौती के साथ खतरे में था। पाठको, प्रार्थना करें की मैं जीत जाऊं।

तीसरी चुनौती

एक नए दिन की शुरुआत हुई। तापमन सुहावना था और आकाश अपनी विशालता में नीले रंग में था। आलसीपन से, मैं अपनी नींद भरी आँखे खुजलाते हुए उठा। बड़ा दिन हो चुका है और मैं इसके लिए तैयार हूँ। सबसे पहले, मुझे अपना नाश्ता तैयार करने की जरुरत है। जिन चीजों को मैं कल ढूंढ़ के लाया था उनके साथ बनाना कोई कठिन काम नहीं होगा। मैंने कढ़ाई तैयार की और चिकन के अंडे को फोड़ने लगा। कुछ बड़े छींटे मेरे आँखों में लग ही गए थे। कितनी बार जिंदगी में ऐसा होता है कि दूसरों की चिंता से हम दुखी होते हैं। मैंने अपना नाश्ता किया, थोड़ा आराम किया और अपनी रणनीति तैयार करने लगा। तीसरी चुनौती बहुत आसान लग रही थी। किसी को मारने के बारे में सोच भी नहीं सकता। लेकिन फिर भी, मुझे इसका सामना करना पड़ेगा। और इस प्रतिज्ञा के साथ मैं चलने लगा और थोड़ी देर में ही मैं झोंपडी के बाहर था। तीसरी चुनौती यहाँ से शुरू होती है और मैं इसकी तैयारी करता हूँ। मैं पहला रास्ता लेता हूँ और उसमें चलना शुरू करता हूँ। रास्ते के दोनों तरफ लगे पेड़ बहुत ही चौड़े और गहरी जड़ वाले हैं। मैं किस चीज को ढूंढ रहा हूँ? सफलता, जीत और उपलब्धि। जो भी हो, मैं ऐसा कुछ भी नहीं करूँगा जो मेरे सिद्धान्तों के खिलाफ हो। प्रसिद्धि, सफलता और ताकत से पहले मेरी इज़्ज़त है। तीसरी चुनौती मुझे परेशान कर रही है। मेरे लिए मारना एक अपराध है चाहे वह कोई जानवर ही क्योँ ना हो। दूसरी तरफ मैं गुफा में प्रवेश करना चाहता हूँ और अपनी फ़रियाद पूरी करना चाहता हूँ। यह दो "विरोधी ताकतों" या "विरोधी रास्तो" का प्रतिनिधित्व करती हैं।

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