वरध तकत - Aldivan Teixeira Torres 3 стр.


मैं रास्ते पर ही चल रहा था और प्रार्थना कर रहा था कि मुझे कुछ ना मिले। कौन जाने, हो सकता है तीसरी चुनौती खत्म ही कर दी जाए। मुझे नहीं लगता संरक्षक इतने दयालु होंगे। नियम का पालन सभी को करना पड़ता है। मैं थोड़ी देर रुका और जो दृश्य देखा उस पर भरोसा नहीं कर पा रहा था: एक ओसेलेट और उनके तीन शावक, मेरे आस पास खेल रहे थे। बस यही था। मैं तीन शावकों की माँ को नहीं मारूँगा। मेरे पास हिम्मत नहीं है। अलविदा सफलता, अलविदा निराशा की गुफा। बहुत सपने हुए। मैं तीसरी चुनौती पूरी नहीं कर पाया, मैं जा रहा हूँ। मैं अपने घर तथा प्रियजनों के पास लौट जाऊँगा। जल्द ही मैं अपने केबिन में सामान बाँधने के लिये आ गया। मैंने तीसरी चुनौती पूरी नहीं की।

केबिन उखड़ा हुआ था, इसका क्या मतलब था? एक हाथ ने धीरे से मेरे बाजू को छुआ। मैं पीछे पलटा और संरक्षक को देखा।

-मेरी शुभकामनाये, प्रिय! तुमने तीसरी चुनौती पूरी कर ली और अब तुम्हे निराशा की गुफा में प्रवेश करने का अधिकार है। तुम जीत गए।

जोर से उसने मुझे जो गले लगाया उसने मुझे और परेशान कर दिया। यह औरत क्या कह रही थी? इन सब के बाद भी मेरे सपने और गुफा फिर से मिल सकते थे? मैं इस पर भरोसा नहीं करता।

-क्या मतलब है तुम्हारा? मैनें तीसरी चुनौती पूरी नहीं की। मेरे हाथों को देखो: ये साफ़ है। मैं अपना नाम खून के धब्बों से नही रंगूगा।

-तुम नहीं जानते? तुम्हे लगता है कि परमेश्वर का पुत्र ऐसे अत्याचार करने में सक्षम होगा जैसे की मैंने कहा था? मुझे कोई भी शंका नहीं है कि तुम अपने सपनों को पूरा करने के काबिल हों, भले ही उन्हें सच होने में समय लगेगा। तीसरी चुनौती ने पूर्ण रूप से तुम्हारी कीमत आंक ली है और तुमने परमेश्वर के बनाए हुओं के लिये बेइंतहा प्यार का प्रदर्शन किया है। एक इंसान के लिए यही सबसे जरूरी चीज है। एक और चीज: सिर्फ एक साफ़ दिल वाला ही गुफा में जीवित रह पाएगा। अपने दिल और विचारों को साफ़ रखो ताकि तुम उस पर जीत पा सको।

-धन्यवाद, परमेश्वर! धन्यवाद, इस मौके के लिये। मैं वादा करता हूँ कि आपको निराश नहीं करूँगा।

भावनायें मुझ पर ऐसे हावी हो गईं जैसे मैं कभी पहाड़ पर ही नहीं चढ़ा। क्या गुफा सच में चमत्कार करने में सक्षम थी? मैं पता ही करने वाला हूँ।

निराशा की गुफा

तीसरी चुनौती जीतने के बाद मैं खूंखार निराशा की गुफा में प्रवेश करने के लिए तैयार था, वह गुफा जो असम्भव सपनों को पूरा करती है। मैं भी एक सपना देखने वाला था जो अपनी किस्मत आजमानें जा रहा था। जब से मैं पहाड़ के ऊपर चढ़ा हूँ मैं बिलकुल भी पहले जैसा नहीं रहा। मुझे अब खुद पर विश्वास था और उस ब्रम्हांड में जिसने मुझे उठाए रखा है। अजीब औरत ने जो गले लगाया था उससे भी थोड़ा अच्छा महसूस हो रहा था। अब वह यहाँ मेरी तरफ थी हर तरह से मेरा समर्थन कर रही थी। यह वह समर्थन था जो मुझे अपने प्रियजनों से कभी नहीं मिला। मेरी अविभाज्य अटैची मेरी बाजू के नीचे थी। अब यह मेरा समय था कि मैं पहाड़ और उसके रहस्यों को अलविदा कह दूँ। चुनौतियां, संरक्षक, भूत, नौजवान लड़की और पहाड़ खुद जो भी जीवित महसूस होता था, इन सब ने मुझे समझदार बनाने में मदद की है। मैं छोड़ के जाने के लिये और खूंखार गुफा का सामना करने के लिए तैयार था। संरक्षक मेरे साथ और गुफा के प्रवेश द्वार के इस सफर तक मेरा साथ देंगीं। हम चलते है क्योंकि सूरज क्षितिज की और बढ़ रहा है। हमारी योजना पूरे सामंजस्य में है। आस पास के पेड़ व वनस्पतिओं और जानवरों की आवाज पर्यावरण को ग्रामीण बना रही है। संरक्षक की पूरे रास्ते भर की चुप्पी गुफा में छुपे खतरे को प्रदर्शित कर रही थी। हम थोड़ी देर रुके। पहाड़ों की आवाज शायद मुझसे कुछ कहना चाहती है। मैं इस मौके को चुप्पी को तोड़ने के लिये उपयोग करता हूँ।

-क्या मैं कुछ पूछ सकता हूँ? ये कौन सी आवाजें हैं जो मुझे कष्ट दे रही हैं?

- तुमने आवाजें सुनी। पवित्र पहाड़ की यह जादुई क्षमता है कि सभी सपने देखने वाले दिलों को एक संग ला देती है। तुम इस जादुई गूंज को महसूस कर पा रहे हो और समझ पा रहे हो। फिर भी, इन पर ज्यादा मत ध्यान दो ये तुम्हें असफलता की और ले जाएँगी। अपनी विचारों पर केंद्रित रहो और काम हो जायेंगे। गुफा की यह क्षमता है कि वह आपकी कमजोरियां पहचान कर उसे आपके खिलाफ उपयोग कर सकती है।

- मैं अपना ख्याल रखने का वचन देता हूँ। मुझे नहीं पता की गुफा में मेरा क्या इंतज़ार कर रहा है लेकिन मुझे भरोसा है प्रकाशित आत्मा मेरी मदद करेगी। मेरा भविष्य दांव पर है और कहें तक तो कुछ हद तक दुनिया भी।

- चलिये, हमने काफी आराम कर लिया। चलना शुरू करते हैं क्योँकि कुछ ही देर में शाम हो जायेगी। गुफा यहाँ से करीब आधा किलोमीटर ही होगी।

पैरो की गड़गड़ाहट फिर से शुरू हो गई। मेरे सपने सच होने से बस आधा किलोमीटर दूर हैं। हम पहाड़ के पश्चिमी भाग पर हैं जहाँ हवा ज्यादा तेज़ है। पहाड़ और उसके राज…............मुझे लगता है मैं इसे कभी पूरा नहीं जान पाउँगा। मुझे चढ़ने के लिए किस चीज ने प्रेरित किया? असम्भव का संभव होने का वादा और मेरे रोमांच और स्काउटिंग प्रवृति ने। सच में, जो चीज मुमकिन थी और मेरे हर दिन की दिनचर्या मुझे मार रही थी। अब मैं जिन्दा महसूस कर रहा था और चुनौतियों से जीतने के लिए तैयार था। पहाड़ के पास पहुँच गए। मैं इसका प्रवेश द्वार देख सकता हूँ वह प्रभावशाली लग रहा है लेकिन मैं हतोत्साहित नहीं हूँ। मेरे बदन में विचारों की लहर दौड़ गई। मुझे अपनी तंत्रिकाओं पर काबू पाना होगा। ये किसी भी समय मुझे धोखा दे सकती है। संरक्षक रुकने का संकेत देती है। मैं उसका पालन करता हूँ।

- इससे ज्यादा गुफा के पास मैं नहीं जा सकती। इसीलिए जो भी मैं कह रही हूँ उसे ध्यान से सुनो क्योकि मैं दोबारा नहीं बोलूंगी: अपने परमेश्वर से संरक्षक स्वर्गदूत के लिए प्रार्थना करो। वो तुम्हे खतरों से बचाएंगे। जब तुम प्रवेश करो तो इस सावधानी के साथ करो की तुम जाल में नहीं फंसोगे। मुख्य द्वार में कुछ समय चलने के बाद एक निश्चित समय के बाद तुम्हे तीन विकल्प मिलेंगे: ख़ुशी, हार और डर। ख़ुशी को चुनना। अगर तुम हार को चुनोगे, तो तुम एक गरीब पागल बन कर रह जाओगे जो सिर्फ सपने देखा करता है। अगर तुम डर को चुनोगे तो तुम खुद को पूरी तरह से खो दोगे। ख़ुशी तुम्हें दो और दृश्यों में पहुंचायेगी जिस के बारे में मुझे नहीं पता। याद रखना: सिर्फ साफ़ दिल वाले गुफा में जीवित रह सकते है। समझदार बनो और अपने सपनों को पूरा करो।

- मैं समझता हूं। जिस पल का मैं इन्तज़ार कर रहा था जबसे पहाड़ पर आया हूँ वो अब आ चुका है। धन्यावद, संरक्षक, मेरे साथ आपके धीरज और उत्साह के लिये। मैं आपको तथा आपके संग बिताए पलों को हमेशा याद रखूँगा।

जैसे ही मैंने उन्हें अलविदा कहा वेदना ने मेरे ह्रदय में जगह बना ली। अब सिर्फ मैं और गुफा, वह दो जो पूरी दुनिया का इतिहास बदल देंगे और मेरा खुद का भी। मैंनें सीधे उसकी तरफ देखा और अपनी अटैची से फ्लैशलाइट निकली ताकि रास्ते को रोशन कर सकूं। मैं प्रवेश करने के लिए तैयार हूं। इस विशालकाय के सामने मेरे पैर जमे हुए महसूस हो रहे हैं। मुझे लगातार रास्ते पर चलते रहने के लिये हिम्मत जुटाने की जरूरत है, मैं ब्राज़ीली हूँ और मैं कभी हार नहीं मानूंगा। मैंने पहला कदम बढ़ाया और मुझे ऐसा लगा की कोई मेरे साथ दे रहा है। मुझे लगता है मैं परमेश्वर के लिये काफी ख़ास हूं। वो मुझसे ऐसा बर्ताव करते हैं जैसे मैं उनका पुत्र हूँ। मेरे कदम बढ़ने लगे और अंततः मैंने गुफा में प्रवेश किया। शुरूआती सम्मोहन बहुत ही ज्यादा है लेकिन जालों के कारण सावधान रहना पड़ेगा। हवा में आर्द्रता बहुत ज्यादा है और बहुत ठण्ड है। खनिज मेरे चारों तरफ भरा हुआ है। मैं 50 मीटर ही चला हूँ की ठण्ड ने मेरे पूरे बदन को झकझोर कर रख दिया है। पहाड़ पर चढ़ने से पहले हर जो चीज से मैं गुजरा हूँ वो मेरे दिमाग में आ रही है: बेज़्ज़ती, अत्याचार और दूसरों से दुश्मनी। ऐसा लग रहा है कि मेरा कोई दुश्मन गुफा में छुपकर मुझ पर हमला करने के सही समय का इंतज़ार कर रहा है। बड़ी छलांग के साथ मैंने पहला जाल पार कर लिया। गुफा की आग ने तो मुझे निगल ही लिया था। नादजा इतनी खुशकिस्मत नहीं थी। छत से लगे चूने के पत्थर पर मैं लटक गया जिसने जादुई रूप से उसने मेरा भार सह लिया, जिस से मैं जीवित बच पाया। मुझे नीचे जाना होगा और अंजान की ओर अपने सफर को जारी रखना होगा। मेरे पैर चल रहे हैं लेकिन सावधानी के साथ। बहुत लोग जल्दी में रहते है, जीतने की या लक्ष्य को पूरा करने की जल्दी में। असामान्य चपलता ने मुझे दूसरे जाल से बचाया। असंख्य भाले मेरे ओर बरसाये गए। एक तो इतना करीब आ गया कि मेरे चेहरे पर खरोंच लग गई। गुफा मुझे तबाह कर देना चाहती है। अब से मुझे ज्यादा सावधान रहना होगा। अब मुझे गुफा में प्रवेश किये हुए एक घण्टा हो गया, लेकिन उस जगह नहीं पहुँच पाया जिसके बारे में संरक्षक ने बोला था। मैं शायद पास में ही होऊंगा, मेरे पैर लगातार चलने लगे और मेरे दिल ने चेतावनी का संकेत दे डाला। कभी कभी हम उन संकेतों पर ध्यान नहीं देते जो हमारा शरीर हमको देता है। यह तब होता है जब असफलता और निराशा घटित होता है। किस्मत से, मेरे साथ ऐसा नहीं था। मैंने एक बहुत जोर की आवाज को अपनी दिशा में आते हुए सुना। मैं दौड़ने लगा। कुछ पलों बाद मुझे अहसास हुआ कि एक बड़ा सा पत्थर जो तेजी से टूट रहा है मेरा पीछा कर रहा है। मैं कुछ देर के लिए दौड़ा और अचानक से मैंने पत्थर से पीछा छुड़ा लिया, और गुफा के बगल में एक झोंपड़ी ढूंढ ली। जब पत्थर गुजर गया तो गुफा के सामने का हिस्सा बंद हो गया और सामने तीन दरवाजे दिखने लगे। वो ख़ुशी, असफलता और डर का प्रतिनिधित्व करते हैं। अगर मैंने असफलता को चुना तो मैं कुछ भी नहीं बन पाऊंगा लेकिन एक पागल आदमी जो एक दिन एक लेखक बनने का सपना देखता है, बनकर रह जाऊँगा। लोग मुझ पर दया करेंगे। अगर मैं डर को चुनता हूँ तो मैं कभी बड़ा नहीं बन पाऊंगा और दुनिया में जाना नहीं जाऊँगा। अगर मैं ख़ुशी को चुनता हूँ तो मैं सपने को लगातार जीता रहूंगा और दूसरे दृश्य में चला जाऊँगा।

यहाँ पर तीन विकल्प है: दाईं तरफ का दरवाजा, बाईं तरफ का और बीच में। उनमे से हर एक किसी एक विकल्प का प्रतिनिधित्व करता है: ख़ुशी, हार और डर। मुझे सही का चुनाव करना है। समय के साथ मैंने अपने डर पर काबू कर लिया है: अँधेरे का डर, अकेले होने का डर और अंजान का डर और मैं सफलता और भविष्य से भी नहीं डरता। डर का प्रतिनिधित्व दाईं तरफ वाला दरवाजा कर रहा होगा। असफलता कमजोर योजना का नतीजा है। मैं कई बार असफल हुआ हूं लेकिन मैंने अपने लक्ष्य को नहीं छोड़ा। असफलता आगे की जीत के लिए सबक का काम करती है। असफलता का प्रतिनिधित्व बायां दरवाजा कर रहा होगा। अंततः बीच वाला दरवाजा ख़ुशी का प्रतिनिधित्व कर रहा होगा क्योंकि सच्चे लोग ना तो दाएं मुड़ेंगे ना बाएं। सच्चे लोग हमेशा खुश रहते है। मैंने अपनी हिम्मत जुटाई और बीच के दरवाजे का चुनाव किया। खोलने पर मैं एक बरामदे पर पहुँच गया और छत पर खुशी नाम लिखा हुआ है। केंद्र में एक चाबी है जो अगले द्वार को खोलती है। मैं सच में सही था। मैंने पहला कदम पूरा कर लिया। अब दो बचे है। मैनें चाबी ली और दरवाजे पर कोशिश की। यह सही बैठा। मैंने दरवाजा खोला। मैं एक नए गलियारे में पंहुचा। मैं उसमे चलता गया और बहुत सारे ख़याल मेरे दिमाग में उमड़ने लगे: नये जाल क्या होंगे जिनका मुझे सामना करना होगा? गलियारा मुझे कैसे दृश्य में ले जाएगा? यहाँ अब बहुत सारे निउत्तर प्रश्न है। मैं लगातार चल रहा हूँ और मेरी साँसे फूलने लगी है क्योंकि यहाँ सांस लेना दूभर है। मैं करीब दस किलोमीटर चल चुका हूँ अब मुझे सजग रहना चाहिए। मैंने एक आवाज सुनी और खुद को बचाने के लिए जमीन पर झुक गया। ये शोर छोटे चमगादडों का है जो मेरे आस पास घूम रहे हैं। क्या वो मेरा खून चूसेंगे? क्या वे मांसाहारी हैं? मेरी खुशकिस्मती से वे विशाल बरामदे में गुम हो गए। मैंने एक चेहरा देखा और मेरा शरीर कांपने लगा। क्या वह भूत है? नहीं। वह एक देह है जो मेरे पास आ रही है मुझसे लड़ाई करने। ये गुफा के निंजा पंडित में से एक है। लड़ाई शुरू होती है। वह बहुत तेज है और एक महत्वपूर्ण स्थान पर मुझे मारने की कोशिश करता है। मैं उसके प्रहारों से बचने का प्रयास करता हूँ। मैंने फिल्में देख कर के जो दांव सीखे है उनसे लड़ता हूँ। योजना काम करती है और वह घबरा जाता है थोड़ा पीछे हो जाता है। वह अपने मार्शल आर्ट्स से मुझ पर फिर से प्रहार करता है लेकिन मैं उसके लिए तैयार हूँ। मैं उसे गुफा में से उठाये गए एक पत्थर से उसके सर पर मारता हूँ। वह बेहोश होकर गिर जाता है। मैं हिंसा के पूर्ण विरुद्ध हूँ लेकिन इस स्थिति में यह बेहद जरूरी था। मैं दूसरे दृश्य में जाना चाहता हूँ और गुफा के रहस्यों को जानना चाहता हूँ। मैं फिर से चलना शुरू करता हूँ और सजग रहता हूँ और खुद को दूसरे जालों से बचाता हूँ। आर्द्रता कम होती है और हवा चल रही है और मैं खुद को ज्यादा सुखद महसूस कर रहा हूँ। मैं संरक्षक द्वारा भेजे गए सकारात्मक विचारों की लहर को महसूस करता हूँ। गुफा और अंधेरी हो होती है, और खुद को बदलती है। सामने एक आभासी भूलभुलैया दिखती है। गुफा का एक और जाल। भूलभुलैया का प्रवेश द्वार पूरी तरह से दिख रहा है। लेकिन निकास द्वार कहाँ है? मैं कैसे प्रवेश करूँ और गुम ना हो जाऊं? मेरे पास केवल एक विकल्प है: भूलभुलैया को पार करूँ और खतरा उठाऊं। मैं अपना साहस बंधाता हूं और भूलभुलैया के प्रवेश की तरफ अपना पहला कदम उठाता हूँ। पाठको, प्रार्थना करें कि मुझे निकास मिल जाए। मेरे दिमाग में कोई योजना नहीं है। मुझे लगता है इस उलझन से बाहर निकलने के लिए मुझे अपनी बुद्धिमता का इस्तेमाल करना होगा। मैं भूलभुलैया के मुहाने में जाता हूँ। अंदर में तो यह बाहर से भी ज्यादा भ्रामक लग रहा है। इसकी दीवारें चौडी हैं और मोड़ टेढ़े मेढ़े। मैं जीवन में उन पलों को याद करने की कोशिश करता हूँ जहां मैंने खुद को खोया हुआ पाया जैसे भूलभुलैया में। मेरे पिता की मृत्यु, जब मैं बहुत ही छोटा था मेरे लिए बहुत ही धक्का देने वाली थी। वह समय जब मैं बेरोजगार था और पढाई भी नहीं कर रहा था तब मुझे लगा था कि मैं किसी भूलभुलैया में खोया हुआ हूँ। मैं अभी भी वैसी ही परिस्थिति में हूँ। मैं चलता गया और ऐसा लगा की इस भूलभुलैया का कोई अंत नहीं है। क्या आपने कभी मायूस महसूस किया है? मुझे ऐसा ही लगा रहा था, पूरी तरह मायूस। इसी वजह से इस गुफा का नाम निराशा की गुफा है। मैं अपनी बची ख़ुची ताकत जुटाकर खड़ा हुआ। मुझे किसी भी कीमत पर बाहर जाने का रास्ता ढूंढना था। मुझे आखिरी विचार आया; मैंने ऊपर छत की ओर देखा और बहुत से चमगादड़ देखे। मैं उनमे से एक का पीछा करूँगा और उसे “जादूगर” बुलाऊंगा। एक जादूगर भूलभुलैया को हरा सकता है। इसकी मुझे जरूरत थी। चमगादड़ बड़ी तेजी से उड़ा और मुझे उसके साथ बने रहना था। यह अच्छा है कि मैं शारीरिक रूप से चुस्त हूँ, बिलकुल किसी खिलाड़ी की तरह। मैंने सुरंग के अंत में एक रौशनी देखी, या बेहतर है, भूलभुलैया के अंत में। मैं बच गया।

भूलभुलैया के अंत ने मुझे गुफा के गलियारों के अजीब दृश्य में ला दिया। एक आईनों से बना कमरा। मैं बहुत डर के चल रहा था कि कहीं कुछ ना टूट जाये। मैं आईने में अपना प्रतिबिम्ब देख पा रहा हूँ। अब मैं कौन हूँ? एक कमजोर जवान सपने देखने वाला जो अपनी किस्मत की खोज करने ही वाला है। मैं थोड़ा चिंतित दिख रहा था। इन सब का क्या मतलब था? दीवारें, छत, फर्श सब कुछ कांच का बना हुआ है। मैंने कांच के सतह को छुआ। यह वस्तु कितनी भंगुर है लेकिन खुद के पहलू को प्रतिबिंबित करती है। तुरंत ही तीन आईनों में अलग दृश्य दिखते है, एक बच्चा, ताबूत पकडे एक जवान आदमी और एक बूढा आदमी। ये सब मैं हूँ, क्या यह एक दर्शन है? सच में मेरे बच्चों जैसे पहलु है जैसे पवित्रता, मासूमियत और लोगों में भरोसा। मुझे नहीं लगता कि मैं इन गुणों से छुटकारा पाना चाहता हूँ। एक पंद्रह साल का नौजवान मेरी एक दुःखद स्थित को प्रदर्शित करता है: मेरे पिता की मृत्यु। उनके कठिन और पृथक रास्ते थे, फिर भी वो मेरे पिता थे। मेरी यादों में मुझे वो अब भी याद हैं। बूढ़ा आदमी मेरा भविष्य दिखाता है। वह कैसा होगा? क्या मैं सफल होऊंगा? शादीशुदा, अकेला या विधुर होऊंगा? मैं एक घिनौना और दुखी बुजुर्ग नहीं होना चाहता। यह दृश्य बहुत हो गए। मेरा वर्तमान अभी है। मै एक 26 साल का जवान आदमी हूँ, गणित में डिग्री के साथ, एक लेखक हूँ। मैं अब कोई बच्चा नहीं रहा, ना ही पंद्रह साल का वो जिसने पिता को खोया है। मैं कोई बूढ़ा भी नहीं हूँ। मेरा आगे भविष्य है और मैं खुश रहना चाहता हूँ। मैं इन तीनो में से कोई भी दृश्य नहीं हूं, मैं, मैं ही हूँ। एक जोर के साथ, जिन तीनों आईनों में लोग दिख रहे थे टूट गया और एक दरवाजा दिखाई दिया। यह मेरे तीसरे और आखिरी दृश्य का प्रवेश है।

`मैंने दरवाजा खोला और जिसने मुझे एक नए बरामदे में पहुँचा दिया। तीसरे दृश्य में मेरा क्या इंतेजार कर रहा है? चलिये साथ में चलते है, पाठको। मैं चलने लगता हूं और मेरे ह्रदय की गति बढ़ने लगती है जैसे मैं पहले ही दृश्य में ही हूँ। मैंने बहुत से चुनौतियों पर जीत पा ली है, और मैं खुद को एक विजेता सोचता हूँ। मेरे दिमाग में, मैं उन पुरानी यादो को खोजता हूं जब मैं बचपन में छोटी गुफाओं में खेला करता था। स्तिथि अब बिलकुल अलग है। गुफा बहुत बडी है और जालों से भरी हुई है। मेरी रोशनी बिल्कुल खत्म हो गई है। मैं लगातार चलता हूं और बिलकुल सामने एक नया जाल दिखता है: दो दरवाजे। "विरोधी ताकतें" मेरे अंदर चिल्लाती हैं। नया विकल्प बनाना जरूरी है। एक चुनौती मेरे दिमाग में आती है, और याद आता है कि मेरे पास हिम्मत थी कि उसे मैं पूरा कर सकूँ। मैंने दाईं तरफ वाले रास्ते को चुना। भले ही यह स्थिति बिलकुल अलग है और मैं एक अँधेरी गुफा के अंदर हूँ। मैंने अपना चुनाव तो कर लिया लेकिन संरक्षक की सिखाई बातों को याद करने की कोशिश करने लगा। मुझे दोनों ताकतों के बारे में जानना जरूरी है ताकि उन पर मैं पूरा नियंत्रण पा सकूँ। मैंने दाईं तरफ के दरवाजे को चुना। मैनें धीरे से दरवाजा खोला, इस बात से डरा हुआ की वहाँ क्या छुपा हो सकता है। जैसे ही मैं उसे खोलता हूँ मुझे एक दृश्य विस्मित होता है: मंदिर के अंदर, साधुओं के तस्वीरों से भरा हुआ और वेदी पर प्याला। क्या यह पवित्र प्याला हो सकता है, क्राइस्ट का वह आखिरी प्याला जो इससे पीते हैं वो उन्हें अनंत जवानी देते है? मेरे पैर काँप रहे है। जल्दी में मैं प्याले की ओर भागता हूं और उससे पीता हूँ। वाइन बहुत स्वास्दिष्ट लगती है, जैसे स्वर्ग के परमेश्वर की हो जैसे। मैं चक्कर सा महसूस करता हूँ, सिर घूमने लगता है, स्वर्गदूत गाते हैं और गुफा की जमीन कंपकपाती है। मैंने अपना पहला दर्शन देखा: मैंने एक यहूदी देखा जिसका नाम जीसस था, अपने प्ररितों के साथ, चंगाई देते, मुक्त करते तथा अपने लोगों को जीवन का नया दृष्टिकोण सीखा रहे हैं। मैने उनको पूरे चमत्कारों और प्यार के प्रक्षेप पथ के साथ देखा। मैंने जूडस और शैतान को उनके पीछे धोखे करते भी देखा। अंततः मैंने उनके दोबारा जी उठने और महिमा को भी देखा। मैंने एक आवाज को मुझसे कहते सुना: अपना निवेदन करो। ख़ुशी के साथ मैंने कहा: मैं द्रष्टा बनना चाहता हूँ।

चमत्कार

मेरे निवेदन के कुछ समय बाद, मंदिर हिलने लगता है, धुएं से भर जाता है और मैं बदली हुई आवाजें सुन सकता हूँ। जिसका उन्होंने खुलासा किया वह एक पूर्ण रहस्य था। प्याले से एक आग उठती है और मेरे हाथ में आती है। उसकी रोशनी बहुत तेज है और पूरी गुफा को रोशन करती है। गुफा की दीवारें बदलती है और छोटा दरवाजा प्रकट होता है उसे राह देती हैं। वह खुलता है और एक ताकतवर हवा मुझे उसकी तरफ धक्का देती है। मेरी सारी कोशिशें मेरे दिमाग में आती हैं: पढाई की ओर मेरी निष्ठा, जिस तरह मैंने परमेश्वर के नियमों का सही तरीके से पालन किया, पहाड़ की चढ़ाई, चुनौतियां और यहाँ तक कि गुफा में यह मार्ग भी। इन सब ने मेरा आश्चर्यजनक अध्यात्मिक विकास किया। मैं अब खुश रहने तथा अपने सपनों को पूरा करने के लिए तैयार हूँ। बहुत खूंखार निराशा की गुफा ने मुझे अपना निवेदन करने के लिए मजबूर कर दिया। इस उत्कृष्ठ क्षण में मुझे वह सब याद है जिसने प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से मेरी जीत में योगदान दिया: मेरे प्राथमिक शाला के शिक्षक, मिसेस सोकोर्रो, जिसने मुझे पढ़ना और लिखना सिखाया, मेरे जीवन में शिक्षक, मेरा स्कूल और काम के दोस्त, मेरा परिवार और संरक्षक जिन्होंने मुझे चुनौतियों तथा इस गुफा को पार पाना सिखाया। ताकतवर हवा के झोकें मुझे दरवाजे के ओर धक्का दे रहे हैं और जल्द ही मैं खुफिया कक्षा के अंदर होऊंगा।

जो शक्ति मुझे धक्का दे रही है अंततः बंद होती है। दरवाजा बंद होता है। मैं एक बहुत ही बड़े कक्ष में हूँ जो ऊँचा और अँधेरे से भरा हुआ है। दाईं तरफ एक मुखौटा, एक मोमबत्ती और बाइबल है। बाईं तरफ एक कैप, टिकट और क्रॉस है। केंद्र में ऊपर बहुत ही अच्छा दिखने वाला गोल सा लोहे का बना उपकरण है। मैं दाईं तरफ चला: मैनें मुखौटे को पहना, मोमबत्ती को उठाया और बाइबिल के किसी पन्ने को खोल लिया। मैं बाईं तरफ चला: मैंने कैप पहन लिया, अपना नाम और उपनाम टिकट पर लिखा और दूसरे हाथ से क्रॉस को सुरक्षित किया। मैं केंद्र की ओर चला और खुद को उपकरण के ठीक नीचे खड़ा कर लिया। मैंने चार जादुई शब्द कहे: पै-गं-ब-र। तुरंत ही रौशनी का चक्र उपकार से निकला और मुझे भर लिया। मैं महान सपने देखने वालों की याद में रोज जलने वाली सुगंध को महसूस कर रहा था: मार्टिन लूथर किंग, नेल्सन मंडेला, मदर टेरेसा, फ्रांसिस ऑफ़ असीसी और जीसस क्राइस्ट को। मेरा शरीर कंपकंपाने लगता है और तैरने लगता है। उनके साथ मेरी समझ जागने लगती है और मैं भावनाओ तथा इरादों को गंभीरता से पहचाने में सक्षम हो जाता हूँ। मेरे उपहार ताकतवर हो गए हैं और उनके सहारे मैं समय और अंतरिक्ष में चमत्कार करने में सक्षम हूँ। चक्र तेजी से बंद होता है और अपराध, असहिष्णुता और डर की हर भावना मेरे दिमाग से मिट रही है। मैं तक़रीबन तैयार हूं: दर्शनों की एक श्रेणी दिखने लगती है और मुझे भ्रमित करती है। अंततः चक्र बाहर चला जाता है। तुरंत ही, मेरे तोहफों के साथ द्वारों की एक श्रेणी खुलती है और मैं देख, सुन और महसूस कर सकता हूँ। चरित्र की आवाजें जाहिर होना चाहती हैं, अलग समय और जगह दिखने लगते हैं और महत्वपूर्ण प्रश्न मेरे दिल को खुरचने लगते है। ज्ञानी बनने की चुनौती शुरू हो चुकी है।

गुफा से निर्गमन

सब जीतने के साथ मेरे पास यह बचता है कि मैं गुफा से निकल जाऊँ और यात्रा को सच बनाऊं। मेरा सपना पूरा हो चुका था अब उसे बस काम में लाना था। मैंने चलना प्रारम्भ किया और कुछ ही क्षणों में मैंने ख़ुफ़िया कक्ष को पीछे छोड़ दिया था। मुझे नहीं लगता कि अब और कोई इंसान यहाँ प्रवेश करने की ख़ुशी प्राप्त कर पाएगा। निराशा की गुफा वैसे ही नहीं रहेगी जैसा की मैं इसे जीतकर, आत्मविश्वास और ख़ुशी के साथ छोडूंगा। मैं तीसरे दृश्य के पास आया: संतो के तस्वीरें वहीं बरकरार है और मेरे जीतने से खुश लग रहे हैं। प्याला गिर गया है और सूखा है। वाइन बहुत ही स्वादिष्ट थी। मैं तीसरे दृश्य के पास शांति से अपना काम करता हूँ और जगह के वातावरण को महसूस करता हूँ। यह सच में गुफा और पहाड़ जितना पवित्र है। मैं ख़ुशी में चिल्लाया और गूंज पूरी गुफा में गूंजी। द्रष्टा बनने के बाद दुनिया बिलकुल पहले जैसी नहीं रहेगी। मैं रुका, सोचा और खुद को हर तरह से परिकल्पित किया। आखिरी चुम्बन के साथ मैंने तीसरा दृश्य छोड़ा और उसी दरवाजे पर आ गया जिसे मैंने चुना था। द्रष्टा का रास्ता एक आसान रास्ता नहीं होगा क्योंकि हृदय की “विरोधी ताकतों” को नियंत्रण में करना चुनौतीपूर्ण होगा और उसे दूसरों को सीखाना भी। बाईं तरफ का रास्ता जो मेरा विकल्प था ज्ञान और लगातार सिखना चाहे छुपी ताकतों के साथ, पछतावे या खुद मृत्यु के साथ का प्रतिनिधित्व करता है। जैसे की गुफा बहुत बड़ी, आर्द्र और अँधरी है, चलना थकान भरा होता है। द्रष्टा की चुनौती शायद उससे बड़ी हो सकती है जितना मुझे लगा है: ह्रदय, जीवन और भावनाओं का मिलन। यह पूरा नहीं है: मुझे अब भी अपने रास्ते का ध्यान रखना है। गलियारा तंग होते जाता है और उसके साथ मेरे विचार भी। घर की याद बढ़ने की मेरी भावनाओं को, और साथ ही गणित और मेरी खुद की ज़िन्दगी के। अन्त में, अपने आप की पुरानी यादों आती हैं। मैंने अपने पैर जल्दी चलाये और अब मैं दूसरे दृश्य में हूँ। टूटे हुए शीशे मेरे दिमाग के उस भाग का प्रतिनिधित्व कर रहे है जो संरक्षित तथा बढ़ाकर रखे गए थे: अच्छी भावनायें, गुण, उपहार और गलती पहचानने की क्षमता जो मैंने की थीं। आईने का दृश्य मेरी आत्मा का प्रतिबिंब है। इस आत्म-ज्ञान को मैं पूरी ज़िन्दगी अपने साथ लेकर चलूंगा। मेरी यादों में बसी है बच्चे की आकृति, पन्द्रह साल के बच्चे की और बूढ़े आदमी की। ये मेरे बहुत से चेहरों में तीन चेहरे हैं जो मैं संरक्षित करता हूँ क्योंकि ये मेरा इतिहास है। मैं दूसरा दृश्य छोड़ता हूँ और उसके साथ अपनी यादें भी। मैं उस गलियारे में हूँ जो मुझे पहले दृश्य की ओर ले जायेगा। मेरे भविष्य की उम्मीद और आशाएँ नई हो गई हैं। मैं द्रष्टा हूँ, ज्ञानवान और ख़ास। बहुत से लोगों के सपनों को पूरा करने के लिए नियुक्त। गुफा के बाद का समय पहले से जो कौशल है उनके ट्रेनिंग और सुधार के लिए होंगे। मैं थोड़ी दूर और जाता हूं और भूलभुलैया की एक झलक देखता हूँ। इस चुनौती ने तो मुझे तक़रीबन तबाह ही कर दिया था। मेरी मुक्ति का कारण जादूगर, एक चमगादड़ था जिसने मुझे निकास द्वार खोजने में मदद की। अब मुझे उसकी कोई जरूरत नहीं है क्योंकि मैं अपनी मायावी ताकतों से मैं इसे आसानी से पार कर सकता हूँ। मेरे पास पांच धरातलों में मार्ग दर्शन का उपहार है। कितनी बार प्रायः हमें लगता है कि हम भूलभुलैया में खो गए है: जब हम नौकरी खोते हैं, जब हम अपने प्रियजनों से दुःखी होते हैं, जब हम अपने से बड़ों के आदेश को नहीं मानते, जब हम सपने देखने की आशा और क्षमता को खो देते है; जब हम जीवन के प्रशिक्षु होना छोड़ देते हैं और तब जब हम खुद की किस्मत को दिशा देने की क्षमता खो देते हैं। याद है: ब्रम्हांड व्यक्ति को प्रवृत्त कर देता है लेकिन वो हम होते हैं जो उसके लिए जाते हैं और साबित करते हैं कि हम लायक हैं। वही मैनें किया। मैं पहाड़ चढ़ा, तीनो चुनौतियां पार की, गुफा में प्रवेश किया, उसके जालों को हराया और अपनी मंज़िल तक पहुँचा। मैं भुलभूलैया के पार निकला और मुझे उससे उतनी खुशी नहीं हुईं क्योकि मैं पहले ही चुनौती जीत गया था। मुझे नए क्षितिजों की तलाश थी। मैं ख़ुफ़िया कक्ष, दूसरे और तीसरे दृश्य के बीच में दो किलोमीटर तक चला और इस अहसास के साथ मुझे थोड़ी थकान महसूस हुई। मैंने महसूस किया कि पसीना बह रहा था और वाष्पिक दबाव तथा काम आर्द्रता महसूस की। मैं निंजा के पास पंहुचा, मेरा महान प्रतिद्वंदी। वह अभी भी पटकाया हुआ मालूम होता था। मुझे माफ़ कर दो कि मैंने तुम्हारे साथ ऐसा बर्ताव किया लेकिन मेरे सपने, मेरे उम्मीद और मेरी किस्मत सब दांव पर थे। हर एक को महत्वपूर्ण समय में महत्वपूर्ण निर्णय लेने पड़ते हैं। डर, लज्जा, और शिष्टाचार मदद करने की बजाये रास्ते में आते हैं। मैंने उसके चेहरे की ओर देखा और शरीर में जान वापस डालने की कोशिश की। मैंने इस तरह बर्ताव किया जैसे अब हम प्रतिद्वंदी नहीं है लेकिन इस भाग के साथी हैं। वह उठा है और पूरे दिल से मुझे बधाई देता है। सब कुछ पीछे छूट गया था: लड़ाई, हमारी "विरोधी ताकतें" हमारी विभिन्न भाषाएं, और हमारे अलग अलग लक्ष्य। हम पहले से अलग स्तिथि में जी रहे है। हम बात कर सकते थे, एक दूसरे को समझ सकते थे और क्या पता दोस्त भी बन सकते थे। जैसे की कहावत है: अपने दुश्मन को घनिष्ट और विश्वासी दोस्त बनाओ, अंततः उसने मुझे गले लगाया और मुझे अलविदा कह और मुझे कामयाबी के लिए शुभकामनाये दी। मैंने प्रतिदान किया। वह लगातार गुफा के हिस्से का राज बनाता रहेगा और मैं जिंदगी और दुनिया का रहस्य बनाता रहूंगा। हम "विरोधी ताक़तें" है जो मिल गए हैं। इस किताब में मेरा यही लक्ष्य है: "विरोधी ताकतों" को एक करना। मैं बरामदे में चलता रहा जिसने मुझे पहले दृश्य में पहुँचा दिया। मैं पूर्णतः शांत और विश्वास से भरा महसूस कर रहा था ना कि वैसे जैसे गुफा में जब पहली बार प्रवेश किया था। डर, अँधेरे और आग से अंजान होने के कारण मुझे डरा दिया था। सुख, भय और असफलता के संकेत के तीन दरवाजों ने मुझे चीजों की भावना विकसित करने और समझने में मदद की। असफलता हर वह चीज का प्रतिनिधित्व करती है जिससे हम उसे बिना जाने भागते रहते हैं। असफलता हमेशा सीखने का सबक होना चाहिये। यह वह क्षण होता है मानव खोज करता है कि वह सर्वोत्तम नहीं है, कोई भी रास्ता अभी नहीं बना है और यह क्षण है फिर से बनने का। यह चीज हमेशा करनी चाहिये: पुनर्जीवित हो। उदाहरण के लिये पेड़: वो अपने पत्ते तो खो देते है लेकिन अपना जीवन नहीं। उन्हें वैसे ही रहने दो जैसे वे है: रूपांतरण कर लो। जिंदगी में उसकी आवश्यकता होती है। डर वहाँ उपस्थित होता है जब भी हम कभी हम डरा या दबा हुआ महसूस करते हैं। यह नई असफलताओं का शुरूआती बिंदु है। अपने डर पर जीत पाओ और पाओगे कि यह सिर्फ हमारी कल्पना में होता है। मैंने गुफा के गलियारे के एक अच्छे हिस्से को पार कर लिया है और इस समय में, मैं ख़ुशी के दरवाजे को पार कर रहा हूँ जो बहुत ही जरुरी है। हर कोई इस द्वार से जा सकता है और खुद को समझ सकता है कि ख़ुशी रहती है और उसे पाया जा सकता है अगर हम ब्रम्हांड के साथ साथ चलें। यह सम्बंधित रूप से आसान है: कामगीर, राजमिस्त्री, चौकीदार अपने मिशनों को पूरा करने से खुश है, किसान, गन्ना उगाने वाला, चरवाहे सब खुश हैं अपनी मजदूरी का उत्पादन इकठ्ठा करके; शिक्षक पढ़ाने में और सिखाने में; लेखक पढ़ने और लिखने में; पंडित पुण्य विचारों को बांटने में; जरुरती बच्चे, अनाथ और भिखारी प्यार और चिंता के शब्द सुनकर खुश हैं। ख़ुशी हमारे अंदर है और लगातार खोजे जाने की जरूरत है। सच में खुश रहने के लिए हमें घृणा, असफलता, फालतू बातें और शर्म को भूलने की जरूरत है। मैं चलता गया और सभी जालों को देखा जिनसे मै बचने में कामयाब रहा और अचंभित हुआ की अगर लोग भरोसे, रास्ते और किस्मत के नहीं बने होते तो किसके बने होते। उनमे से कोई भी जाल को पार नहीं कर पाया क्योकि उनके पास सुरक्षा का जाल या रौशनी और ताकत नहीं थी। इंसान अगर अकेला है तो वह कुछ भी नहीं है। वह जब मानवता के ताकतों से जुड़ा होता है तभी वह खुद से कुछ कर पाता है। अगर वह ब्रम्हांड के साथ सामंजस्य में है तभी वह अपनी खुद की जगह बना सकता है। मुझे अब ऐसा ही महसूस हो रहा है: पूर्ण सामंजस्य में क्योकि मैं पहाड़ पर चढ़ा, तीन चुनैतियां जीतीं और मैंने गुफा को हरा दिया, वह गुफा जिसने मेरे सपने को सच कर दिया। मेरे चलने का अंत आ गया है क्योंकि मुझे गुफा के प्रवेश द्वार से रौशनी आती दिख रही है। थोड़ी देर में मैं बाहर होऊंगा।

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